जिला परिषद् के कार्यप्रणाली पर जिला पार्षदों ने उठाया सवाल बैंठेगे धरना पर..

- जिला परिषद् के कार्यप्रणाली पर जिला पार्षदों ने उठाया सवाल बैंठेगे धरना पर

- नहीं है पारदर्शिता | नहीं हो रही निगरानी | नाम मात्र का रहा सदन | सभी कमिटियों को साज़िशतन किया गया निष्क्रिय, 

 दिनांक 19-05-2022 को जिला परिषद् के 7 पार्षद और उनके प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से जिला परिषद् कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर ज़न समस्याओं और अपने हक़-हकुक के आवाज़ बुलंद किए. साथ ही संयुक्त रूप से घोषणा की के 22 मई को दिन के 11:30 अनिश्चित कालीन धरना पर पार्षदगण बैठेंगे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से 
माननीय सदस्यों ने कहा के ज़न हित से जुड़े समस्याओं का समाधान लंबे समय बीत जाने के बाद भी नहीं हो पा रही है जिसको लेकर पार्षदों की एक प्रतिनिधि मंडल दिनाँक 02-05-23 को जिला परिषद् अध्यक्ष को मिलकर अवगत कराया था जिसपर उन्होंने 15 दिन के अंदर निराकरण कर लेने का अशवासन दिया गया था. 
           पार्षदों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा के हालात ऐसी हो गई है के हम पार्षदगण, जिला परिषद् द्वारा किया गया विकास कार्य बजट आवंटन का हिसाब भी जिला परिषद् कार्यालय में पारदर्शिता के अभाव में जनता को नहीं दे पा रहे हैं, जिला परिषद् सदन की कई बैठक हुई किंतु बैठक में पारित प्रस्ताव में से अधिकांश पर अमल नहीं हुआ। 
जिला भर में पलायन की बहुत बड़ी समस्या है जिसे रोकने हेतु मनरेगा योजना को व्यापक स्तर पर करने की आवश्यकता होने के बावज़ूद भी अररिया जिला परिषद् की भागीदारी शुन्य होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है जबकि अन्य जिलों में जहाँ जिला परिषद् द्वारा इसका क्रियान्वन हुआ है उन जिलों में पलायन रोकने में ये मील का पत्थर साबित हुआ है. जब कि कई बैठकों में अध्यक्ष महोदय द्वारा आश्वासन दिया गया है किन्तु परिणाम शुन्य रहा 
 जिला परिषद् कार्यालय द्वारा प्रखंड स्तर से भी अनापत्ति पत्र लेने में असमर्थ है जिसके कारण कई योजना वर्षों से बाधित है. 

जिला के प्रखंडों में इंदरा-आवास नल जल योजना मनरेगा आदि योजनाओं में काफ़ी अनियमितता एवं कमीशन खोरी व्याप्त है जिसे जिला परिषद् के सदन द्वारा रोकने में कोई रुचि नहीं दिखना सबाल खड़ा करता है 
जिला परिषद् के स्थाई समितियों के सचिवों के लापरवाही और करतबहीनता चरम पर है जिसका प्रभाव जन सुविधाओं पर पड़ रहा है ऐसा प्रतीत होता है के जान बूझ कर साज़िश के तहत समितियों को निष्क्रिय कर दिया गया है ताकि व्यापत भ्रष्टाचार की निगरानी ना हो सके जबकि विभागों की निगरानी ही जिला परिषद् का मुख्य कार्य है. 
जिला परिषद् के विकास कार्यों में पदाधिकारी एवं कुछ कनीय अभियंताओं द्वार समय सीमा पर कार्य पूर्ण नहीं करना लापरवाही एवं कर्तब्यहीनता के बावज़ूद सदन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाना पूरे सदन पर सवाल खड़ा करता है. 
 जिला परिषद् के सामान्य बैठक में होने वाले अधिकांस निर्णय का कोई परिणाम नहीं निकलना एक गंभीर विषय है.  
सवालों के जवाब में सदन में अधिकारियों द्वारा लगातार गलत जवाब दे कर सदन को गुमराह करते है किंतु उसपर कोई कार्रवाई नहीं होती. 
पार्षदों द्वारा उठाए गए सवालों को रिकार्ड से ही गायब कर दिया जाता है, बार बार गुज़ारिश करने के बाद भी सदन की कार्यवाही का वीडियो रिकार्डिंग नहीं होता. 
जिला परिषद् अधिनसथ हटियाओं से अवैध वसुली ज़ारी है जिससे जिला परिषद् के आय में छाती हो रही है इसका जिम्मेदार कौन है? 
उक्त मौके पर जिला पार्षद इस्तयाक आलम, परवेज़ मुशर्रफ, फातमा तूफानी जिला पर्षद प्रतिनिधि फैसल जावेद यासीन, लालू यादव, मुजाहिद हुसैन, मोहम्मद हुसैन उर्फ चुन्ना ने प्रमुखता से अपनी बात आक्रोशित अंदाज में दर्ज कराई. 
माना जा रहा है के पार्षदों का एक बड़ा सामुह आर पार के लड़ाई के मूड में है.

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